January 2, 2010

सेवा करें और समृद्धि पायें 2010 का सन्देश

सेवा करें और समृद्धि पायें
परम पूज्य श्री श्री रविशंकर जी के द्वारा

            हर वर्ष हम नव वर्ष की शुरूआत दूसरों को खुशी और समृद्धि की शुभ कामनायें देकर करते हैं ।

            समृद्धि का सही लक्षण क्या है ? समृद्धि का लक्षण मुस्कराहट है। समृद्धि का लक्षण संतोष है। समृद्धि का चिन्ह है मुक्ति, मुस्कान तथा जो कुछ भी अपने पास है उसे निर्भय हो कर आस पास के लोगों के साथ बाँटने की मनःस्थिति । समृद्धि का लक्षण यह आस्था और आत्मविश्वास है कि जो कुछ भी मेरी आवश्यकता है वह मुझे मिल जाएगा।

            2010 का स्वागत एक वास्तविक मुस्कुराहट के साथ करें, एक ऐसी मुस्कुराहट जो भीतर से हो। कलैंडर के पन्ने पलटने के साथ साथ हम अपने मन के पन्नों को भी पलटते जाएँ । प्रायः हमारी डायरी स्मृतियों से भरी हुई होती है । आप देखें कि आपके भविष्य के पन्ने बीती हुई घटनाओं से न भर जाएँ । बीते हुए समय से कुछ सीखें, कुछ भूलें और आगे बढ़ें ।

आप लोभ, घृणा, द्वेष, तथा ऐसे अन्य सभी दोषों से मुक्त होना चाहते हो । यदि मन इन सभी नकरात्मकताओं में लिप्त है तो वह खुश तथा शांत नहीं रह सकता । आप अपना जीवन आनंदपूर्वक नहीं बिता सकते । समझें कि नकारात्मक भावनाएँ भूतकाल की वजह से हैं। वर्तमान जीवन के अनुभव को आपका भूतकाल नष्ट न करने पाये । भूतकाल को क्षमा कर दें । यदि आप अपने बीते हुए समय को क्षमा नहीं कर पाएँगे तो आप का भविष्य दुःखपूर्ण हो जाएगा । पिछले साल, जिनके साथ आप की अनबन रही है, इस साल आप उनके साथ सुलह कर लें । भूत को छोड़ कर नया जीवन शुरु करने का संकल्प करें ।

इस बार नववर्ष के आगमन पर हम इस पृथ्वी के लिए शांति तथा संपन्नता के संकल्प के साथ सभी को शुभकामनाएँ दें । आर्थिक मंदी, आतंकवाद की छाया तथा बाढ़ तथा अकाल के इस समय में और अधिक निःस्वार्थ सेवा करें । जानें कि इस संसार में हिंसा को रोकना ही हमारा प्राथमिक उद्देश्य है, तथा विश्व को सभी प्रकार की सामाजिक तथा पारिवारिक हिंसा से हमें मुक्त करना है। समाज के लिए कुछ अच्छा करने का संकल्प लें, जो पीड़ित हैं उन्हें धीरज दें ।

जब भी आप लोगों के लिये उपयोगी हुए तो उसका पुण्य भी आपको मिला -  वह लुप्त नहीं होता। आपके द्वारा किये गये अच्छे कर्म हमेशा पलट कर आपके पास वापस आयेंगे। आज आपके पास यह पूरा विश्व एक परिवार जैसा है। यह हमें महसूस करना है कि हर कोई आपके ही परिवार का हिस्सा है। पूरे राष्ट्र के लिये जिम्मेदारी लें। फिर कोई दुःख नहीं होगा।

            जीवन का आध्यात्मिक पहलू हम में संपूर्ण विश्व और संपूर्ण मानवता के प्रति और अधिक अपनापन, उत्तरदायित्व, संवेदना तथा सेवा का भाव विकसित करता है। सच्चा आध्यात्मिक पहलू जाति, धर्म, तथा राष्ट्रीयता की संकुचित सीमाओं को तोड़ देता है तथा सभी में व्याप्त जीवन ऊर्जा से अवगत कराता है ।

अपनी आंखों को खोलें और देखें की आपको कितना कुछ मिला हुआ है। इस नव वर्ष   पर यह ध्यान दें कि आपको क्या मिला है,  इस पर नहीं कि आपको क्या नहीं मिला। यह कृतज्ञता लाता है। आप जितने कृतज्ञ होंगे उतना अधिक आपको मिलेगा। इसके विपरीत आप जितनी शिकायत करेंगे, उतना ही आपसे ले लिया जायेगा। यीशु मसीह ने भी यही कहा था कि ''जिसके पास है उनको और अधिक मिलेगा और जिसके पास नहीं है उनके पास जो भी है वह उनसे ले लिया जायेगा।'' इसका यही अर्थ है।   

            जो हम से कम सम्पन्न है उनके पास पहुँचे और आभार की भावना के साथ उनकी सहायता करें। आप यह अनुभव करेंगे कि जब आप नि:स्वार्थ सेवा करते हैं तो आपको कितना अधिक संतोष मिलता है। इससे आपको यह भी पता चलेगा कि आपकी अपनी समस्या बहुत छोटी हैं । बार-बार मन में कहना कि ''मुझे क्या मिलेगा?'' मानसिक अवसाद का सबसे बड़ा कारण है। ''मुझे क्या मिलेगा?'' समृद्धि की कमी का लक्षण है।

            इस वर्ष पंछी की तरह मुक्त हो जायें। अपने पंखों को खोलें और उड़ना सीखें। इसको स्वयं अपने भीतर अनुभव करना है। और कुछ भी नहीं है। यदि आप अपने को बंधन में महसूस करते हो तो फिर आप बंधन में ही रहोगे। मुक्त हो जायें। आप अपनी स्वतंत्रता को कब महसूस करेंगे? मरने के बाद? अभी इसी क्षण मुक्त हो जायें। बैठ कर तृप्त हो जायें। कुछ समय ध्यान और सत्संग में बैठें। यह आपके मन को शांत तो करता ही है और साथ ही संसार की चुनौतियों का सामना करने के लिये आपकी चेतना को आंतरिक बल देता है।

            जब मन विश्राम करता है तब बुद्धि तीक्ष्ण हो जाती है । जब मन आकांक्षा, ज्वर या इच्छा जैसी छोटी छोटी चीज़ों से भरा हो तब बुद्धि क्षीण हो जाती है । और जब बुद्धि तथा ग्रहण क्षमता तीक्ष्ण नहीं होती तब जीवन को पूर्ण अभिव्यक्ति नहीं मिलती है। नये विचार नहीं आते  तथा हमारा सामर्थ्य दिन-प्रतिदिन कम होने लगता है। इस ज्ञान से हम अपने छोटे मन के दायरे से बाहर कदम निकाल सकते हैं और यह कदम जीवन की कई समस्याओं का समाधान देगा। केन्द्रित रहने से हमेशा खुशी पास रहती है। इसी शांति से प्रतिभायें उभरती हैं। सहज ज्ञान मिल जाता है, सुंदरता आ जाती है, शांति आती है, प्रेम प्रकट होता है। समृद्धि आती है।