October 20, 2010

भौतिक सम्पन्नता एवं आध्यात्मिक उन्नति का रहस्य

 
ज्ञान पत्र तिथि : 2010-10-13
स्थान : बंगलौर आश्रम, भारत
नवरात्रि उत्सव के दौरान चल रहे यज्ञों के महत्व के बारे में श्री श्री बताते हुए -   
अस्तित्व के तीन स्तर हैं  बाहरी स्थूल जगत, विभिन्न शक्तियों का सूक्ष्म जगत  और देवत्व या भगवान. यहाँ पर कराये गए सभी यज्ञों का उद्देश्य आध्यात्मिक और भौतिक लाभ दोनों प्राप्त करना है. जब तुम अपनी गहराइयों में डूबते हो, जो सब का स्रोत है, तुम परम शान्ति का अनुभव करते हो.  जब तुम गहरे ध्यान की अवस्था में रहते होतभी इन मंत्रों का प्रभाव पड़ता है. वह बहुत ही शक्तिशाली और सुंदर हैं और वे सूक्ष्म जगत को समृद्ध करते हैं. हम कितने भाग्यशाली हैं कि हमें  इसका हिस्सा बनने का मौक़ा मिला.
यहाँ पर सभी वेदों के पंडित हैंऔर वे मंत्र उच्चारण करेंगे. यह हजारों साल से होता आ रहा है. ऐसा पूरे विश्व के कल्याण के लिये किया जाता है. हम सभी यहाँ पर एक शरीरएक मन और एक आत्मा के रूप में एकत्रित हुए हैं, और यहाँ जो हो रहा है उसमें पूर्ण रूप से निमग्न हैं.  चाहे हम इनका अर्थ नहीं भी जानते हों तब भी हम जानते हैं कि सूक्ष्म स्तर पर ये हमारे जीवन और पूरी मानवता के लिए कुछ अच्छा है.
हो सकता है कि हमारी बुद्धि इसको समझ न पाये परन्तु हमारा सूक्ष्म शरीर इसकी गहराई को समझता है. और जो स्पंदन यहाँ से निकल रहे हैं वे अस्तित्व के सभी सूक्ष्म परतों के लिये कल्याणकारी हैं.  इस ऊर्जा से परोपकार होता हैपूरी मानवता का कल्याण होता हैहमारे बुरे कर्म कट जाते हैंविश्व में सद्भाव बढ़ता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इच्छाएं पूर्ण होने के लिये सूक्ष्म स्तर में शक्ति होनी  चाहिए. यह हमें आत्म बोध के पास लाता है और दुनिया में सफल बनाता है.
एक शरीर और एक मन के रूप मेंपरम सत्य में स्थित होकरअपने सभी सांसारिक कर्तव्यों को पूरा करते हुए शांति की गहराई में विश्राम करो. इस प्रेम और भक्ति में डूब जाओ और यह भावना रखो कि सब कुछ अच्छा हो रहा है, सब कुछ आप के लिए हो रहा है. मकई की तरह - जब वह थोड़ा गर्म किया जाता हैतब वह फूट कर पॉप कॉर्न बन जाता है. उसी प्रकारयह चेतना दिव्य है और मंत्र के जप से यह कुसुमित होकर प्रकट होती है. चेतना को खिलाने के लिये यह एक सुंदर अवसर है. ओम शांति!