April 12, 2009

क्रिया और प्रतिक्रिया

साप्ताहिक ज्ञानपत्र 263
27 जुलाई, 2000
यूरोपियन आश्रम
जर्मनी

क्रिया और प्रतिक्रिया

किसी भी क्रिया को हम चेतन मन से निर्णय लेकर करते हैं। जबकि प्रतिक्रिया आवेश में होती है। आवेशपूर्ण कृत्यों से कर्मों की लड़ी बनने लगती है। प्रतिक्रिया और निष्क्रियता दोनों से ही कर्म बनते हैं। सजगतापूर्ण क्रियायें कर्म के परे होती हैं। सजगता के साथ किये गये कृत्य से नये कर्म नहीं बनते हैं जबकि निष्क्रियता से कर्म बन जाते हैं। 

उदाहरणस्वरूप युद्ध में सैनिक या पुलिस वालों के अश्रुगैस के उपयोग से उनके कर्म नहीं बनते जबकि आवश्यकता पड़ने पर यदि डॉक्टर मरीज़ को दवाई न दे तो उससे कर्म बनेगा। 

ज्ञान व भक्ति द्वारा तुम कर्मातीत होकर मुक्त हो जाओ।

अपना वोट अवश्य डालें- श्री श्री रवि शंकर जी

"आप जागेंगे तो देश जागेगा"

चाणक्य ने कहा "समाज की दुर्दशा के लिए दुर्जन की दुर्जनता से ज्यादा सज्जन की निष्क्रियता काम करती है."

पूज्य श्री श्री रवि शंकर जी का आवाहन है देश की जनता के लिए, " एक आतंकवादी देश को बर्बाद करने के लिए समय, धन, और जान देता है | आप देश को आबाद करने के लिए क्या दे सकते हैं? और कुछ नहीं तो हम लोग वोट तो दे सकते हैं."

"धूप, हवा, पानी, धरती इनके साक्षी हम बनेंगे और भारत में बदलाव लायेंगे"

सांस लें तो धर्म के लिए छोडें तो देश के लिए