साप्ताहिक ज्ञानपत्र 263
27 जुलाई, 2000
यूरोपियन आश्रम
जर्मनी
क्रिया और प्रतिक्रिया
किसी भी क्रिया को हम चेतन मन से निर्णय लेकर करते हैं। जबकि प्रतिक्रिया आवेश में होती है। आवेशपूर्ण कृत्यों से कर्मों की लड़ी बनने लगती है। प्रतिक्रिया और निष्क्रियता दोनों से ही कर्म बनते हैं। सजगतापूर्ण क्रियायें कर्म के परे होती हैं। सजगता के साथ किये गये कृत्य से नये कर्म नहीं बनते हैं जबकि निष्क्रियता से कर्म बन जाते हैं।
उदाहरणस्वरूप युद्ध में सैनिक या पुलिस वालों के अश्रुगैस के उपयोग से उनके कर्म नहीं बनते जबकि आवश्यकता पड़ने पर यदि डॉक्टर मरीज़ को दवाई न दे तो उससे कर्म बनेगा।
ज्ञान व भक्ति द्वारा तुम कर्मातीत होकर मुक्त हो जाओ।
परम पूज्य श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा स्थापित आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था आज १५० देशों में फैली हुई है| साधना, सेवा, सत्संग, योग, प्राणायाम व ज्ञान के माध्यम से लाखों लोग तनाव मुक्त हो रहे हैं| यहाँ आपको इस सुन्दर मार्ग पर चल रहे लोगों के कुछ अनुभव, गुरुदेव का ज्ञान, व अन्य रोचक खबरें मिलेंगी| आप भी अपने अनुभव को अपनी तस्वीर, नाम व परिचय के साथ deartanuj@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं
April 12, 2009
अपना वोट अवश्य डालें- श्री श्री रवि शंकर जी
"आप जागेंगे तो देश जागेगा"
चाणक्य ने कहा "समाज की दुर्दशा के लिए दुर्जन की दुर्जनता से ज्यादा सज्जन की निष्क्रियता काम करती है."
"धूप, हवा, पानी, धरती इनके साक्षी हम बनेंगे और भारत में बदलाव लायेंगे"
सांस लें तो धर्म के लिए छोडें तो देश के लिए
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