साप्ताहिक ज्ञानपत्र 263
27 जुलाई, 2000
यूरोपियन आश्रम
जर्मनी
क्रिया और प्रतिक्रिया
किसी भी क्रिया को हम चेतन मन से निर्णय लेकर करते हैं। जबकि प्रतिक्रिया आवेश में होती है। आवेशपूर्ण कृत्यों से कर्मों की लड़ी बनने लगती है। प्रतिक्रिया और निष्क्रियता दोनों से ही कर्म बनते हैं। सजगतापूर्ण क्रियायें कर्म के परे होती हैं। सजगता के साथ किये गये कृत्य से नये कर्म नहीं बनते हैं जबकि निष्क्रियता से कर्म बन जाते हैं।
उदाहरणस्वरूप युद्ध में सैनिक या पुलिस वालों के अश्रुगैस के उपयोग से उनके कर्म नहीं बनते जबकि आवश्यकता पड़ने पर यदि डॉक्टर मरीज़ को दवाई न दे तो उससे कर्म बनेगा।
ज्ञान व भक्ति द्वारा तुम कर्मातीत होकर मुक्त हो जाओ।
1 comment:
jai gurudev
excellent work, your post is useful
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