सजगता, अपनापन तथा प्रतिबद्धता सफलता की कुँजी है. जीवन का ए. बी. सी. क्या है ? यह सजगता, अपनापन तथा प्रतिबद्धता (Awareness, Belongingness, Commitment) है. किसी भी क्षेत्र मे ए. बी. सी. की आवश्यकता होती है. क्या हम इस बात से सजग हैँ कि हम अपने को क्या बता रहे हैँ? किसी भी समाज के लिये इस स्तर की सजगता महत्वपूर्ण है क्योँकि यह समाज मे अपराध को रोक सकती है. इस स्तर की सजगता से किसी अपराधी को अपराध करने से रोकना सँभव है.
एक चोर था . वह एक सँत से मिलने गया. उसने साधु को बताया उसके मन मेँ चोरी करने कि प्रबल इच्छा है. साधु ने कहा कि मैं तुम्हे चोरी करने से रोकने नहीं जा रहा हूं लेकिन जब चोरी करो तो जागरुकता के साथ करो. तीन माह बाद चोर साधु के पास गया और सजगता से बोला ,”मैं चोरी नहीं कर पाया”.
क्रोध के साथ भी यही बात है. यह एक विस्फोट कि तरह आता है और हम अपना आपा खो देते हैं. परंतु वास्तव में तुमने क्या खोया है? तुमने सजगता खोयी है.तुम क्रोध को उत्तेजित कर सकते हो और वह क्रोध तुम्हे नष्ट करने का आवेग बन सकता है. परंतु स्रृजनकर्ता बनने के लिये तुम्हे आवेग को पैदा करने की आवश्यकता नहीं है, तुम्हे केन्द्रित होने कि आवश्यकता है. और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि तुम्हे सजग रहने कि आवश्यकता है.
अब, किसी में सजगता कैसे काई जा सकती है? हम जीवन में सरल और छोटी वस्तुओं से प्रार्ंभ करें. ऐसी वस्तुएं जो महत्वहीन लगती हैं , जैसे चिड़ियों को गाते हुए सुनना ,सूर्य अस्त होते हुए देखना और इसी तरह अन्य वस्तुएं ,ये तुम्हारी सजगता बढाएगी.
सजगता, बुद्धिमतता पैदा करती है. अपनत्व ह्र्दय को पोषित करती है और प्रतिबद्धता जीवन को पोषित करती है. समस्या यह है कि बहुत थोड़े सृजनकर्ता हैं. लेकिन उनका बहुत अधिक संकल्प है और वे सफल होते हैं.
यदि हम ए.बी.सी. पर ध्यान देते हैं तो हम समाज में बड़ा परिवर्तन ला सकते है. स्वयं से प्रश्न पूछो, क्या विश्व के सभी लोग आप के अपने हैं? जिस दिन तुम पूछोगे तुम्हारी अध्यात्मिक यात्रा प्रारंभ हो जाएगी. सजगता के इस प्रसंग के साथ तुम ब्रम्हांड क विज्ञान समझ लोगे.
कुछ मंदिरोँ मे ‘संकल्प’ नामक प्रथा है.वे तुम्हे इस बात का स्मरण कराते हैं कि यह ब्रम्हांड कितना पुराना है और फिर वहां से तुम्हे इस थल(?) मे ले आते हैं. ब्रम्हांड विज्ञान सजगता लाता है, सजगता बढ़ाने की दूसरी विधियां, प्राणायाम, ध्यान, और श्वसन है. भारत मे 180 से अधिक कम्पनियों मे हमने उनके कर्मचारियों को ध्यान सिखाया है. इससे यह अनुभव हुआ कि उनका भी एक जीवन है.वे घर जाते हैं और अपनी पत्नी और बच्चों के साथ समय बिताते हैं ध्यान सीखने से पहले वे केवल बिस्तर पर चले जाते थे. तुम्हे ऊर्जा की आवश्यकता है और वह तुम्हे केवल भोजन और सोने से नहीं मिलेगा.ध्यान तथा चेतना कि शांत स्थिति भी तुम्हे ऊर्जा प्रदान करेगी. जब्अ भी तुम्हे समय मिले, एक साथ बैठो, गाना गाओ और ध्यान करो. इससे एकजुट होने की भावना बढ़ेगी.
’सी’ कौस्मौलौजी, प्रतिबद्धता तथा दया के लिये है. अधिक मुस्कुराओ, थोड़ा हंसी मजाक विनोद तुम्हे व्यथा से दूर रख सकता है. कर्नाटक तथा महाराष्ट्र मे एक प्रथा है कि वे कलश के साथ एक दर्पण रखते हैं. जो भावनाएं तुम्हे व्यथित कर रहीं हैं वे विलीन और विलिप्त हो जाएंगी. प्रतिदिन दर्पण मे देखो और मुस्कुराओ. तुम जितने ही ऊंचे कौर्पोरेट क्षेत्र मे जाते हो , मुस्कुराहट कम होती जाती है. मैं सफलता को मुस्कुराहट से मापता हूं. जितनी गहरी मुस्कान होगी अह यह दर्शाती है कि तुम कितने सुरक्षित हो. और मेरे विचार मे यही है जो तुम्हारे कैरियर मे सफलता को दर्शाती है.