''आयुर्वेद स्वाइन फ्लू का प्रभावकारी मुकाबला कर सकता है'' श्रीश्री
बैंगलुरु, 12 अगस्त 2009, आतंकित न होने के लिये आग्रह करते हुए, द आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक परम पूज्य श्री श्री रविशंकर जी ने एक प्रेस विज्ञप्ति मे कहा '' भारत के पास ''आयुर्वेद के ज्ञान का वैभव है जो स्वाइन फ्लू का मुकाबला कर सकता है''
इस पर विस्तार से चर्चा करते हुए श्री श्री आयुर्वेद केन्द्र के वरिष्ठ आयुर्वेदिक चिकित्सक ड़ॉ मणीकांतन एवं ड़ॉ निशा मणीकांतन ने बताया कि ''स्वाइन फ्लू शरीर मे प्रतिरक्षा के बिगड जाने से आक्रमण करता है । आयुर्वेद सरल और प्रभावशाली उपाय बताता है जो प्रतिरक्षा और प्रतिरोध के निर्माण मे बढ़ोत्तरी करता है । लक्ष्मी तरु ( वनस्पति शास्त्र का नाम -सीमारुबा) की पत्तियो की चाय, तुलसी, ऑवला और अमृत ( गिलोय) प्रतिरक्षा को बढ़ाने का कार्य करते है । इसके अतिरिक्त और वैकल्पिक रुप से अदरक और हल्दी का चूर्ण को नींबू के रस या शहद के साथ दिन मे दो बार लिया जा सकता है ।''
वायु वाहित स्वाइन फ्लू वायरस का मुकाबला करने के लिये सम्बरानी धूप (लोभान की ड़ंठल) को दिन मे दो बार जलाना चाहिये । सम्बरानी बहुत शक्तिशाली वायुमंडलीय निष्कीटक होता है, यह भी चिकित्सको ने कहा ।
श्री श्री ने यह भी कहा '' इसके अतिरिक्त, हमारा मन प्रतिरक्षा मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । जब भी हम आतंकित और भय मे होते है तो हमारा प्रतिरक्षा कर स्तर निचे चला जाता है । प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास हमे शांत रखने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । अखिल भारतीय आर्युविज्ञान ( एम्स, नई दिल्ली), राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान(नीमहंस, बैंगलुरु) मे स्वतंत्र शोध के अनुभव पता चलता है कि प्राण्ाायाम और ध्यान जैसे अभ्यास प्रतिरक्षा मे तीन गुना बढ़ोत्तरी करते है । यदि हम इन अभ्यासो और सरल आयुर्वेदिक नुस्को का समावेश अपने दिनचर्या मे कर ले तो हम स्वाइन फ्लू का आसानी से मुकाबला कर सकते है ।''
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