दिवाली ज्ञान के प्रकाश का उत्सव - श्री श्री रवि शंकर
आपके द्वारा प्रज्ज्वलित प्रत्येक दीप, सद्गुण का प्रतीक है। प्रत्येक मनुष्य में सद्गुण होते हैं। कुछ में धैर्य होता है, कुछ में प्रेम, शक्ति, उदारता, अन्य में लोगों को संगठित करने की क्षमता होती है। आप में स्थित अप्रकट मूल्य दिये के समान हैं। जैसे ही वह प्रज्जवलित हो जाएँ, जागृत हो जाएँ, दिवाली है। केवल एक ही दीप जला कर संतुष्ट न हों; हज़ार दीप प्रज्जवलित करें। यदि आप में सेवा भाव है, केवल उससे ही संतुष्ट न हों, अपने में ज्ञान का दीप जलाएँ, ज्ञान अर्जित करें। अपने अस्तित्व के सभी पहलुओं को प्रकाशित करें।
दिवाली का एक और गूढ़ रहस्य पटाखों के फूटने में है। जीवन में आप कई बार पटाखों के समान होते हैं, अपनी दबी हुई भावनाओं, हताशा तथा क्रोध के साथ फूट पड़ने के लिये तैयार। जब आप अपने राग, द्वेष, घृणा को दबाए रखते हैं वह फूट पड़ने की सीमा पर पहुँच जाता है। पटाखे फोड़ने की क्रिया का प्रयोग हमारे पूर्वजों द्वारा, लोगों की बाधित भावनाओं को अभिव्यक्ति देने के लिये, एक मनोवैज्ञानिक अभ्यास के रूप में किया गया। जब आप बाहर विस्फोट देखते हैं तो आप अंदर भी वैसी संवेदनाओं का अनुभव करते हैं। विस्फोट के साथ बहुत सा प्रकाश निकलता है। जब आप अपनी दबी हुई भावनाओं से मुक्त होते हैं तब आप खाली हो जाते हैं तथा आप में ज्ञान के प्रकाश का उदय होता है।
ज्ञान की सभी जगह आवश्यकता है। यदि परिवार का एक भी व्यक्ति अंधकार में है, आप खुश नहीं रह सकते। अत: आप को अपने परिवार के प्रत्येक सदस्य में ज्ञान का प्रकाश स्थापित करना होगा। इसे समाज के प्रत्येक सदस्य तक ले जाएँ, पृथ्वी के प्रत्येक व्यक्ति तक पहुँचाएँ।
जब सच्चा ज्ञान उदित होता है, उत्सव होता है। अधिकतर उत्सव में हम अपनी सजगता अथवा एकाग्रता खो देते हैं। उत्सव में सजगता बनाए रखने के लिये, हमारे ऋषियों नें प्रत्येक उत्सव को पवित्रता तथा पूजा विधियों से जोड़ दिया है। इसलिये दिवाली भी पूजा का समय है। दिवाली का आधात्मिक पहलु, उत्सव में गाम्भीर्य लाता है। प्रत्येक उत्सव में आध्यात्म होना चाहिये क्योंकि आध्यात्म के बिना उत्सव छिछला होता है।
उत्सव चेतना का स्वभाव है तथा उत्सव का प्रत्येक कारण अच्छा है। उत्सव में आप केवल नाचे गाएं नहीं, बल्कि स्वयं को ज्ञान के प्रति भी सजग रखें। जो ज्ञान में नहीं हैं उनके लिये वर्ष में एक बार ही दिवाली आती है, किंतु जो ज्ञानी हैं उनके लिये प्रत्येक दिन, प्रतिक्षण उत्सव है। ज्ञानी बनें तथा अपने जीवन के प्रत्येक क्षण, प्रत्येक दिन को उत्सव बना लें।