October 24, 2008

कौन किसको खुश कर रहा है?

साप्ताहिक ज्ञानपत्र 316

2 अगस्त, 2001

यूरोप आश्रम, बाद एन्टोगास्ट

जर्मनी

 

कौन किसको खुश कर रहा है?

परमात्मा ने इस संसार और मनुष्य की संरचना बड़ी विविधता और अच्छी चीज़ों के साथ करी है।  मनुष्य के मनोरंजन के लिए और उसे खुश करने के लिए परमात्मा ने अनेक प्रकार की सब्जियाँ, सुगन्ध, फूल और काँटे, राक्षस और भयानक दृश्य बनाए हैं। 

परन्तु मनुष्य तो और भी अधिक अवसादग्रस्त होता गया। तब फिर परमात्मा को सख्त होना पड़ा और मनुष्य ईश्वर को खुश करने में जुट गया। और इस तरह ईश्वर को प्रसन्न रखने में मनुष्य व्यस्त हो गया, और इसमें ज्यादा खुश रहने लगा क्योंकि उसके पास चिन्ता और तनाव के लिये समय ही नहीं बचा। 

इसलिये, अगर  तुम्हारे पास कोई खुश रखने के लिये है तब तुम सतर्क रहते हो और् तुम अधिक खुशी महसूस करते हो। परन्तु यदि तुम्हारा ध्येय केवल अपने आपको खुश रखना हो तब निश्चय ही तुम अवसादग्रस्त हो जाओगे। आनन्दभोग बस और अधिक लालसा को ले आता है। परन्तु समस्या यही है कि हम सुखों के द्वारा तृप्त होने की चेष्टा करते हैं। सच्ची तृप्ति केवल सेवा के माध्यम से ही मिल सकती है।

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