साप्ताहिक ज्ञानपत्र 322
24 सितम्बर, 2001
बंगलौर आश्रम
भारत
जिसके प्रति तुम्हारा आधिपत्य होता है प्राय: उसके प्रति तुम्हारा आदर नहीं रहता। जो कुछ हम हासिल कर लेते हैं प्राय: उसके प्रति हमारा सम्मान क्षीण हो जाता है, यह हमसे अनजाने में ही होता है।
जिसका तुम आदर करते हो वह तुम से बड़ा हो जाता है। जब तुम में अपने सभी सम्बन्धों के प्रति सम्मान होता है तब तुम्हारी अपनी चेतना का विस्तार होता है। तव छोटी छोटी चीज़ें भी बड़ी और महत्वपूर्ण प्रतीत होती है। हर तुच्छ जीव गरिमापूर्ण प्रतीत होता है। हर सम्बन्ध के पीछे जो सम्मान होता है वही उस सम्बन्ध को बचा पाता है।
जब तुम सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के प्रति सम्मान रखते हो तब तुम्हारा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड से सामंजस्य होता है। तब तुम्हें इस ब्रह्माण्ड की किसी भी चीज़ का परित्याग या अस्वीकार करने की आवश्यकता नहीं होती।
जो भी तुम्हें मिला है उसका सम्मान करने से तुम लोभ, ईर्ष्या और कामवासना से मुक्त हो जाते हो। जीवन के हर पल का आदर रखने का कौशल बनाओ।
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