साप्ताहिक ज्ञानपत्र 324
28 सितम्बर, 2001
यूरोप आश्रम बैड एन्टोगास्ट
जर्मनी
आतंकवाद : इसके कारण और इसके उपाय
ऐसा कार्य जिससे केवल विनाश हो और अपने तथा दूसरेऱ् दोनों के लिए दुःखदायी हो वही आतंकवाद होता है। ऐसे कार्य में लक्ष्य को पाने के लिये मानवीय मूल्यों को भुला दिया जाता है।
आतंकवाद की ओर ले जाने वाले कुछ कारक हैं -
- लक्ष्य को प्राप्त करने के पीछे कुंठा और हताशा
- भ्रमित भावनाएँ
- अल्पदृष्टि और आवेशपूर्ण कृत्य
- जन्नत और पुण्य मिलने की अप्रमाणिक धारणा पर विश्वास
- बच्चों जैसी धारणा कि परमात्मा कुछ के पक्ष में हैं और बाकी लोगों पर नाराज़ रहते हैं, जो धारणा ईश्वर की सर्वव्यापकता और सर्वशक्तिमत्ता का खनन करती है
आतंकवाद सभी में दहशत लाता है, गरीबी बढ़ाता है, पीड़ा को बढ़ाता है, जीवन को हानि पहुँचाता है, और इससे किसी को कोई भी प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिलता है। हल ढूँढने के बजाय आतंकवादी विध्वंस के द्वारा ही जवाब देने में विश्वास रखता है। यदि तुम बिना किसी हल के कोई निंदा करते हो तो जान लो कि यह निंदा भी उसी बीज से निकलती है जिससे आतंकवाद निकलता है।
हालांकि आतंकवादी में कुछ गुण ऐसे भी होते हैं जिनकी तुम सराहना कर सकते हो, जैसे निडरता, लक्ष्य पाने का दृढ़ संकल्प और बलिदान।
तुम उनसे कुछ ऐसी चीजें सीख लो जो तुम्हें कभी नहीं करनी चाहिए। जीवन से अधिक महत्व कुछ विचारों और धारणाओँ को देना; जीवन के प्रति संकीर्ण दृष्टिकोण; और जीवन की विविधता का अनादर।
आतंकवाद के उपचार हैं -
- जीवन के प्रति विशाल दृष्टिकोण बनाना
- जीवन के मूल्य को धर्म, राष्ट्रीयता और जाति से अधिक देना
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