पुरुषार्थ और भाग्य
भूतकाल को भाग्य मानो, भविष्य को पुरुषार्थ मानो, और वर्तमान में दैवत्व देखो।
प्रश्न : हम चिंता सॆ बाहर कैसे निकलें ?
उत्तर : दिव्य शक्ति पर विश्वास कर के और साधना करने से।
परम पूज्य श्री श्री रवि शंकर जी द्वारा स्थापित आर्ट ऑफ़ लिविंग संस्था आज १५० देशों में फैली हुई है| साधना, सेवा, सत्संग, योग, प्राणायाम व ज्ञान के माध्यम से लाखों लोग तनाव मुक्त हो रहे हैं| यहाँ आपको इस सुन्दर मार्ग पर चल रहे लोगों के कुछ अनुभव, गुरुदेव का ज्ञान, व अन्य रोचक खबरें मिलेंगी| आप भी अपने अनुभव को अपनी तस्वीर, नाम व परिचय के साथ deartanuj@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं
पुरुषार्थ और भाग्य
भूतकाल को भाग्य मानो, भविष्य को पुरुषार्थ मानो, और वर्तमान में दैवत्व देखो।
प्रश्न : हम चिंता सॆ बाहर कैसे निकलें ?
उत्तर : दिव्य शक्ति पर विश्वास कर के और साधना करने से।
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