January 1, 2009

नये साल पर सन्देश

बीते हुए समय से कुछ सीखें, कुछ भूलें : मुक्त हो जाएँ

 

श्री श्री रविशंकर

 

प्रतिवर्ष हम नए साल का स्वागत दूसरों को खुशी तथा सम्पन्नता की शुभकामना देकर करते हैं । सम्पन्नता का चिन्ह क्या है ? समपन्नता का चिन्ह है मुक्ति, मुस्कान तथा जो कुछ भी अपने पास है उसे निर्भय हो कर आस पास के लोगों के साथ बाँटने की मनःस्थिति ।

 

सम्पन्नता का चिन्ह है, दृढ़ विश्वास, कि जो भी मुझे चाहिए वह मुझे मिल जाएगा ।

 

२००९ का स्वागत अपनी आंतरिक मुस्कान के साथ करें । कलैंडर के पन्ने पलटने के साथ साथ हम अपने मन के पन्नों को भी पलटते जाएँ । प्रायः हमारी डायरी स्मृतियों से भरी हुई होती है । आप देखें कि आपके भविष्य के पन्ने बीती हुई घटनाओं से न भर जाएँ । बीते हुए समय से कुछ सीखें, कुछ भूलें और आगे बढ़ें ।

 

आप लोभ, घृणा, द्वेष, तथा ऐसे अन्य सभी दोषों से मुक्त होना चाहते हो । यदि मन इन सभी नकरात्मकताओं में लिप्त है तो वह खुश तथा शांत नहीं रह सकता । आप अपना जीवन आनंदपूर्वक नहीं बिता सकते । आप देखें, कि नकारात्मक भावनाएँ भूतकाल की वजह से हैं और आप अपने भूतकाल को अपने वर्तमान जीवन के अनुभव को नष्ट न करने दें । भूतकाल को क्षमा कर दें । यदि आप अपने बीते हुए समय को क्षमा नहीं कर पाएँगे तो आप का भविष्य दुःखपूर्ण हो जाएगा । पिछले साल, जिनके साथ आप की अनबन रही है, इस साल आप उनके साथ सुलह करलें । भूत को छोड़ कर नया जीवन शुरु करने का संकल्प करें ।

 

इस बार नववर्ष के आगमन पर हम इस पृथ्वि पर सभी के लिए शांति तथा संपन्नता के संकल्प के साथ सभी को शुभकामनाएँ दें ।

 

आर्थिक मंदि, आतंकवाद की छाया तथा बाढ़ तथा अकाल के इस समय में और अधिक निःस्वार्थ सेवा करें । जानें कि इस संसार में हिंसा को रोकना ही हमारा प्राथमिक उद्देश्य है, तथा विश्व को सभी प्रकार की समाजिक तथा परिवारिक हिंसा से मुक्त करना । समाज के लिए और अधिक अच्छा करने का संकल्प लें, जो पीड़ित हैं उन्हें धीरज दें । राष्ट्र के प्रति उत्तरदाई हों ।

 

जीवन का आध्यात्मिक पहलू हममें संपूर्ण विश्व, संपूर्ण मानवता के प्रति और अधिक अपनेपन, उत्तरदायित्व, संवेदना तथा सेवा का भाव विकसित करता है । अपने सच्चे स्वरूप में आध्यात्मिक पहलू जाति, धर्म, तथा राष्ट्रियता की संकुचित सीमाओं को तोड़ देता है तथा सभी को, सर्वत्र व्याप्त जीवन से अवगत कराता है । इस वर्ष अपनी भक्ति को खिलने दें । उसे व्यक्त होने का अवसर दें ।

 

हमें अपने चारों ओर व्याप्त ईश्वर का, उसके प्रकाश का अनुभव करना चाहिए । आप के मन में इसे अनुभव करने की इच्छा होनी चाहिए । क्या आप में कभी यह इच्छा उत्पन्न हुई है - कि आप को उच्चतम शांति प्राप्त हो ? संपूर्ण विश्वश्वरीय प्रकाश से व्याप्त है । जब आप गाते हैं या प्रार्थना करते हैं, उसमें पूर्ण तल्लीनता हो । यदि मन कहीं और उलझा हुआ है, तो प्रार्थना नहीं हो सकती । तुम एक मुक्त पंछी के समान हो । तुम पूर्णतः मुक्त हो । अनुभ्व करो कि तुम एक पंछी के समान उड़ रहे हो । उड़ना सीखो । यह तुम्हें स्वयं ही अनुभव करना होगा । और कुछ नहीं है । यदि तुम अपने को बंधन में महसूस करोगे तो तुम यहाँ ही बंधे रहोगे । मुक्त हो जाओ । तुम मुक्ति का अनुभव और कब करोगे ? अभी मुक्त हो जाओ । बैठो और संतुश्ट हो जाओ । ध्यान तथा सत्संग में कुछ समय बिताएं, ताकि आपमें चुनौतियों का सामना करने की आंतरिक शक्ति विकसित हो ।

 

जब मन तनाव मुक्त होता है, बुद्धि तीक्षण होती है । जब मन, आकांक्षाओं, ज्वर तथा इच्छाओं जैसी छोटी छोटी चीज़ों से भरा हो तब बुद्धि क्षीण हो जाती है । और जब बुद्धि तथा ग्रहण क्षमता तीक्षण नहीं होते, जीवन पूर्णतः अभिव्यक्त नहीं होता, नये विचार नहीं बहते तथा क्षमताएँ दिनोंदिन लुप्त होने लगती हैं । इस समझ के साथ अपने कदम छोटे मन से बाहर निकलो और यह कदम आपके जीवन की बहुत सी समस्याओं का समाधान कर देगा । सहज रहो, प्रेम पूर्ण रहो । आपने आप को सेवा में लगाओ । आपने जीवन का उत्सव मनाओ ।

 

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