March 29, 2009

विरोधी वर्ष

विरोधी वर्ष - 'इस वर्ष आध्यात्मिक लक्ष्य रखो' उगड़ी के त्योहार (नव वर्ष) पर श्री श्री का संदेश

बंगलूरू आश्रम, मार्च 27 (शुक्रवार), 12:00:  

नया साल मुबारक हो! हम 5110 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं ... पृथ्वी ग्रह को सृजन हुए 19 अरब 729 लाख 49100 साल बीत चुके हैं. 

एक कालचक्र 60 वर्ष का होता है. हर साल का एक नाम है. इस वर्ष को 'विरोधी' कहा गया है. इस बार लोगों के बीच लड़ाई होने की अधिक संभावना है. अंतरमुखी सदा सुखी : जब हम अपने केन्द्र में स्थित रहते हैं, तो वहाँ हमेशा आनन्द है. यह नया साल हमारे लिये अच्छा होगा. एक भक्त के लिए काल हमेशा प्रगति लायेगा व उसके लिये अच्छा होगा - चाहे उस समय का वर्षफल या भविष्यवाणी कैसी भी हो. यह चेतना को उच्चतम स्तर तक पहुँचाने का समय है. 

जो कुछ भी होता है, अच्छे के लिए होता है. ओम नम: शिवाय का जाप करें. ध्यान जरूरी है. जनसंख्या का एक प्रतिशत भी यदि ध्यान करे तो शेष 99 प्रतिशत को मदद मिलती है. इस वर्ष सभी को ध्यान और सत्संग करना है. हमारी आध्यात्मिकता का लाभ बाकी जनसंख्या को मिलेगा. इस वर्ष अपने लक्ष्य आध्यात्मिक रखना. पदार्थ जगत के लक्ष्यों को अभी अलग रखा जा सकता है. ध्यान करो, ज्ञान पत्र पढ़ो, सत्संग करो. ऐसा करके एक कठिन समय में तुम दूसरों की मदद कर रहे हो. लोग कहते हैं कि जीवन मीठा और कड़वा दोनों का मिश्रण है - इसी लिये उगडी में नीम के पत्ती के साथ गुड़ खाया जाता है. 

प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में खुश रहने की इच्छा है, लेकिन आमतौर पर वह दुखी हैं.

तीन पहलू दुख लाते हैं – अशांति, भय, व गरीबी 

हम कैसे इन पहलुओं को हटा सकते हैं? 

निस्सवार्थ भावना अशांति को मिटा सकती है. वैराग्य से भय समाप्त होता है. लालच को हटाने से गरीबी खत्म होती है .

यह भावना जितनी तीव्र होगी, उतनी ही तेजी से हम इन चुनौतियों का मुकाबला कर सकते हैं. 

इस वर्ष का नाम विरोधी है - संघर्ष का वर्ष. 

विरोधी बलों को शांत करने के लिए साधक और जिज्ञासु को जुटना होगा. एक बुरा व्यक्ति वह है जो संघर्ष बढ़ाता है और एक अच्छा व्यक्ति वह है जो उसे कम करता है. यह वर्ष आपके चरित्र की परीक्षा लेगा. 

विरोध की इस भावना को दूर करने के लिए कौशल का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है. कुछ मामलों में हम शांति से बात समझ कर दया या ज्ञान का उपयोग कर सकते हैं. 

विरोध जीवन में आवश्यक है. विरोध इसलिये शुरु हुआ ताकि हम अन्याय के खिलाफ लड़ सकें. संघर्ष का जीवन में एक स्थान है. हमारे शरीर के जीवाणु रोग के विरोध लड़ कर हमें स्वस्थ रखते हैं. अन्याय करने के लिए विरोध को दबाना नहीं चाहिए. यदि हम किसी अन्याय के खिलाफ खड़ा होना चाहते हैं, तो यह साल ऐसा करने के लिये सबसे उप्युक्त समय है. 

भारत में
चुनाव आ रहे हैं. भ्रष्टाचार का विरोध करें. हमें अन्याय के प्रत्येक घटना के खिलाफ खड़ा होना चाहिए. ऐसा मत सोचो कि, "आग तो किसी और के घर में लगी है - इसलिए मैं अभी कोई कदम नहीं उठाऊंगा." आग को आपके घर तक पहुंचने में अधिक देर नहीं लगेगी. 

इस साल 10 प्रकार के संघर्ष पैदा हो सकते हैं. पहला है - संदेह. संदेह लोग, जातियों और धर्मों के बीच या आत्मसन्देह हो सकता है. जब आप किसी शक को पैदा होते हुए देखो तो सजगता से जान लेना कि वह खत्म हो जायेगा. केवल कुछ समय की बात है. 

इस वर्ष, जो लोग ध्यान करते हैं उनकी दोहरी जिम्मेदारी है. हमें अपने आप में तटस्थ तो रहना ही होगा और साथ ही साथ मुसीबत में पड़े हुए दूसरे लोगों की मदद भी करनी होगी. यह ज्ञान, सेवा और भक्ति में डूबने के लिए सही समय है. हमारे मन में पहला विचार यह आना चाहिए कि 'मैं आत्मबोध प्राप्त करना चाहता हूँ.' 

भगवान सर्वव्यापी है. वह सत्य है, सुंदर है, चेतन है. जब भगवान तुम में और सभी के अंदर है तो वह क्यों तुम्हारे अनुभव में नहीं आता है? इसके 5 कारण हैं: 
अज्ञान
अस्मिता (अहंकार)
राग 
द्वेष  
अभिनिवेश (भय) 

जब ये पाँच पहलु समाप्त हों, तब तुम देवत्व की ओर बढ़ रहे हो. 

इस नये साल में आत्मनिरीक्षण करो - क्या तुम्हारी अज्ञानता कम हुई? याद करो जब तुमने अपना आर्ट ऑफ़ लिविंग का पहला कार्यक्रम और अड्वांस्ड कोर्स कार्यक्रम किया. 

क्या अज्ञानता कम हुई है? 

क्या तुम और अधिक सहज व स्वाभाविक रहते हो ? 

क्या तुम अपमान ले पा रहे हो? 

जब दूसरों की भृकुटी तुम पर तनी होती है तो क्या तुम मुस्करा पाते हो ? 

तुम्हारा डर क्या कम हुआ है? 


अगर नहीं तो और अधिक ध्यान करो. तुम देखोगे कि यह पहलु कम हो रहे हैं. ध्यान, प्राणायाम, सुदर्शन क्रिया, पद्मसाधना और सेवा इन पाँच पहलुओं को कम करेंगे और तुमको ज्ञान के करीब लाएंगे. 

परमेश्वर और एक साधारण व्यक्ति की जिंदगी के बीच में यह अंतर है कि यह पाँच पहलु भगवान में अनुपस्थित हैं. एक ज्ञानी व्यक्ति में, वे कम मात्रा में मौजूद हैं. एक बेवकूफ आदमी के चरित्र में इनकी प्रमुख भूमिका है. 

हर साल को इस प्रकार परखो कि कितना इन पाँच पहलुओं में कमी हुई. निश्चित ही तुम देखोगे कि तुम्हारी प्रगति हो रही है.

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