साप्ताहिक ज्ञानपत्र 313
12 जुलाई, 2001
लेक ताहो, केलिफॉरनिया
यूनाईटेड स्टेट्स
गलतियाँ
गलतियाँ हमेशा होती रह्ती हैं. तुम उनसे अक्सर परेशान होकर उन्हें सुधारना चाहते हो. तुम कितना सुधार सकते हो? दो परिस्थितियों मैं तुम औरों की गलतियों को सुधारते हो -
1. तुम किसी की गलती को सुधारते हो क्योंकि वह तुम्हें परेशान करती है। लेकिन तुम्हारे सुधारने से भी काम नहीं बन पाता है।
2. तुम किसी की गलती को सुधारते हो ताकि उस व्यक्ति का विकास हो सके, और इसलिये नहीं कि उससे तुम्हें परेशानी हो रही है।
गलतियाँ सुधारने के लिये तुम्हें प्रेम और अधिकार की आवश्यकता है. प्रेम और अधिकार एक दूसरे से विरोधाभासी प्रतीत होते हैं परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है. बिना प्रेम के अधिकार से घुटन होती है और काम नहीं बनता. बिना अधिकार का प्रेम छिछला है. एक दोस्त में दोनों प्रेम और अधिकार की आवश्यकता होती है परन्तु दोनों को सही मात्रा में होना चाहिये. वह तब सम्भव होगा जब हम पूर्णत: वैराग्य में होंगे व केन्द्रित होंगे.
जब तुम गलतियों को हो जाने की अनुमति देते हो, तब तुम दोनों अधिकारपूर्ण व मधुर हो सकते हो. दिव्यता का यही स्वरूप है – दोनों का सही संतुलन. कृष्ण और जीज़स में दोनों थे. जब लोगों में प्रेम होता है तब वे एक दूसरे पर अधिकार जमाते हैं. हरेक सम्बन्ध में अधिकार और प्रेम होता है.
अभय – पति प्रेम करता है और पत्नि के पास अधिकार होता है. माइकी – क्या यह एक गलती है ? गुरूजी – मुझे इसे नहीं सुधारना है. (हँसी)
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