18 अक्टूबर, 2001
बैंगलौर आश्रम
भारत
मधु
हो जाए लहराती पवन मधुर,
हो जाए बहता सागर मधुर,
हो जाए हर पत्ता, हर जड़ी-बूटी उपकारक, हो जाए हर रात मधुर,
हो जाए हर दिन मधुर,
हो जाए धरती का हर रजकण हमारे लिये मधुर,
हो जाए स्वर्गलोक और सभी पूर्वज हमारे प्रति मधुर,
हो जाए हर पेड़ मधुमय,
हो जाए सूर्य मधुर,
हो जाए उसकी हर किरण अनुकूल,
हो जाए सभी पशुओं का स्वभाव मधुर, हो जाए हमारा भोजन अनुकूल,
हो जाए हमारा हर विचार मधुर, हो जाए हमारी वाणी मधुर,
हो जाए हमारा जीवन पवित्र व दिव्य,
हो जाए जीवन मधु जितना मीठा ।
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