हसन एक बहुआयामी व्यक्तित्व के मालिक हैं । युवावस्था में वे ईरान में क्रांतिकारी थे। बाद में वे कैनाडा चले गये और वहाँ टैक्सी चलाते हैं।
सारा दिन काम करने के बाद मुझे, सुबह सुबह एक ग्राहक मिला। उसे काफ़ी दूर तक यात्रा करनी थी पर वह केवल पचास डॉलर ही देने को तैयार था। मैंने उसे बताया कि ऐसा करना मेरे लिये सम्भव नहीं था और मुझे मीटर तो चालू करना ही पड़ेगा। वह उस समय मान तो गया, पर जैसे ही हम लोग हाईवे पर पहुँचे, वह मुझे गालियाँ देने लगा। मुझे गुस्सा आ गया और मैंने गाड़ी रोक दी। वह एक पल के लिये शांत हो गया, फिर उसने बंदूक निकाली और कहा ''मैं तुम्हे गोली मार सकता हँ, तुम्हे जान से मार सकता हँ, मुझसे गड़बड़ न करो।''
एक पल के लिये तो मैं भय से जड़ हो गया। मुझे अपने माथे पर पसीने की बूंदें व सीने में जकड़न का एहसास हुआ। तभी मेरे मन में एक दृढ़ भावना उठी कि मुझे कोई हानि नहीं पहुँच सकती, क्योंकि मेरे गुरु हमेशा मेरे साथ हैं। मैंने मन ही मन एक प्रार्थना की।
वह आदमी मुझ पर लगातार चिल्ला रहा था, तभी उसकी निगाह डैश बोर्ड पर गुरुजी के चित्र पर पड़ी। वह मन ही मन कुछ बुदबुदाया और फिर शांत हो गया। कुछ समय बाद उसने मुझसे पूछा ''यह आदमी कौन है?''। मैं मुड़ा और सीधा उसकी आँखों में देखा, फिर बोला ''यह मेरे गुरु हैं।'' अचानक ही वह नरम पड़ गया, उसने अपने हाथ जोड़े और पहले चित्र को फिर मुझको प्रणाम किया। उसने यह कई बार किया और बोलता रहा ''मैं बहुत शर्मिन्दा हँ।'' गंतव्य पर पहँच कर उसने न केवल मुझे पूरा किराया दिया बल्कि, मुझे काफ़ी बख्शीश भी दी।
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